नई दिल्ली । देश की सीमाओं के लिए सतर्क केंद्र सरकार ने चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ढांचागत निर्माण के लिए खर्च किए जाने वाले बजट को 6 गुना तक बढ़ाया है। यह बजट 2020-21 में 42.9 करोड़ था। जबकि 2021-22 में बढ़कर 249.1 करोड़ हो गया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी है।
राय ने बताया कि सरकार ने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड मैनेजमेंट स्कीम (बीआईएमएस) के तहत यह राशि असम और पूर्वोत्तर के राज्यों से लगने वाली एलएसी पर ढांचागत निर्माण में खर्च की है। जैसे, सड़क, पुल, रेललाइन आदि। उन्होंने बताया कि सरकार ने एलएसी पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए और भी कदम उठाए हैं। मसलन- सीमाई इलाकों में जरूरत के मुताबिक सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई गई है। सीमा पर गश्त, सुरक्षा चौकियों और नाकों का पर्याप्त बंदोबस्त किया गया है। ऐसे स्थलों को चिह्नित किया गया है, जहां से सीमा-सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उनके मुताबिक, सीमाई क्षेत्रों में आधुनिक निगरानी उपकरण तैनात किए गए हैं। नदी घाटी जैसे इलाकों में, जहां जवान तैनात नहीं किए जा सकते, वहां आधुनिक तकनीक की मदद से सीमा-सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। सीमा पर बाड़ लगाई गई है। साथ ही, खुफिया-तंत्र भी मजबूत किया गया है।
राय ने बताया कि चीन की सीमा की ही तरह भारत-म्यांमार के सीमाई इलाकों में भी सुरक्षा प्रबंधों का खर्च ढाई गुना तक बढ़ाया गया है। यह 2020-21 में 17.4 करोड़ रुपए था। इसे 2021-22 में बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए किया गया है। बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा के लिए बजट 2020-21 के 294.9 के मुकाबले 2021-22 में 303.2 करोड़ रुपए किया गया है। कुल मिलाकर भारत की पूरी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ढांचागत निर्माण के लिए 602.3 करोड़ रुपए रखा गया है। जबकि 2020-21 में यह 355.1 करोड़ रुपए था। इसका मतलब हुआ कि बजट में डेढ़ गुना के आसपास बढ़ोत्तरी हुई है।