भोपाल । मप्र का नर्सिंग घोटाला इस समय सुर्खियों में है। जब से दिल्ली से आई सीबीआई टीम ने 10 लाख रुपए रिश्वत लेते अपने ही अधिकारी को गिरफ्तार किया, तब से जांच की जद में आए 364 कॉलेज का मैनेजमेंट सकते में है। उन्हें इस बात का डर सता रही है कि उनके खिलाफ फिर से जांच न शुरू कर दी जाए। दरअसल, सीबीआई अफसरों द्वारा रिश्वत लेकर अपात्र कॉलेजों को पात्र किए जाने के खेल के बाद पूरी जांच शक के दायरे में आ गई है। इससे अब सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच दोबारा कराए जाने को लेकर आवेदन हाईकोर्ट में देने की तैयारी हो गई है। लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन सभी कॉलेजों की दोबारा जांच कराए जाने का आवेदन कोर्ट में देगी। गौरतलब है की सीबीआई की जांच रिपोर्ट और छात्रों की लगातार मांग को देखते हुए कोर्ट के निर्देश के बाद नर्सिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने के तीन साल बाद अब मेडिकल यूनिवर्सिटी छात्रों की परीक्षा करा रही है। नर्सिंग घोटाले के चलते इन कॉलेजो में प्रवेश लेने वाले करीब 1 लाख विद्यार्थियों का भविष्य भी अधर में है। इनमे से आधे छात्र तो अभी पहली परीक्षा दे रहे हैं। इन्हें डिग्री कब तक मिलेगी, यह अभी तय नहीं है। उधर सीबीआई सूत्रों के अनुसार चूंकि जांच टीम ने हाईकोर्ट में उपयुक्त नर्सिंग कॉलेजों की रिपोर्ट सौंप दी है। इसलिए नए सिरे से जांच का निर्णय सीबीआई खुद नहीं लेगी। यदि हाईकोर्ट नए सिरे से जांच के ओदश देगा तो फिर सीबीआई उपयुक्त नर्सिंग कॉलेजों की फिर से जांच करेगी। वहीं हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेज के मामलों से जुड़े अधिवक्ता विशाल बघेल ने बताया कि अगली सुनवाई में हाईकोर्ट में आवेदन देकर उपयुक्त कॉलेजों की फिर से जांच की मांग करेंगे।


खुल सकती है नर्सिंग कॉलेजों की पोल
 गौरतलब कि मप्र में कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में नर्सिंग कॉलेज खुले। कोरोना से पहले साल साल 2018-19 में प्रदेश में 448 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज थे, लेकिन कोरोना के संकट में इनकी संख्या एक साल में तेजी से बढक़र 667 हो गई। इस दौरान अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ गए। लोग प्राथमिक उपचार के लिए तक तरस गए। नियमों के हिसाब से हर नर्सिंग कॉलेजों के पास खुद का कम से कम 100 बेड का पेरेंटल हॉस्पिटल होना चाहिए। जहां छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग कराई जा सके, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर खोले गए इन नर्सिंग कॉलेजों के पास अस्पताल तो छोडि़ए बिल्डिंग, मूलभूत संसाधन और फैकल्टी तक नहीं थी। जब जांच हुई तो चौकाने वाले खुलासे हुए। इस मामले को लेकर जनवरी 2022 में मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसके बाद नर्सिंग कॉलेजों का फर्जीवाड़ा सामने आया, जितनी भी जांच रिपोर्ट आईं। अलग-अलग फर्जीवाड़ा निकलकर आ रहा है।


308 कॉलेजों की जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी
इस जांच में 169 कॉलेजों को सूटेबल, 73 नर्सिंग कॉलेजों को डिफिसेंट और 66 को अनसूटेबल बताया गया। सूटेबल कॉलेजों की लिस्ट सार्वजनिक होते ही इसकी पड़ताल की गई। विसिल ब्लोअर और एनएसयूआई के अध्यक्ष रवि परमार ने शिकायत की कि जिन कॉलेजों को सीबीआई ने सूटेबल घोषित किया है, वो नियमों के खिलाफ हैं। फिर मामले में जांच हुई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। मामले की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारी ही भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए। घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई के अफसर रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए। नर्सिंग घोटाले के व्हिसल ब्लोअर रवि परमार की शिकायत पर सीबीआई दिल्ली की टीम ने अधिकारी को पकड़ा था। माना जा रहा था कि सीबीआई अफसरो की जांच के बाद नर्सिंग कॉलेजो की दशा सुधर जाएगी और यह घोटाला रुक जाएगा, लेकिन इधर, सीबीआई अफसर भी इस घोटाले में शामिल हो गए है। इससे यह घोटाला अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीबीआई अफसरो ने अब तक की जांच में 169 कॉलेजो को क्लीन चिट दे दी है। सीबीआई अफसर 308 कॉलेजों की जांच कर रहे थे। इनमें से आधे से ज्यादा कॉलेजों को क्लीन चिट मिल चुकी है। अब जब अफसर रिश्वत लेते गिरफ्तार हो चुके है, तो इन सभी कॉलेजो की क्लीन चिट पर सवाल उठने लगे है। इसको देखते हुए इन कॉलेजो की अब दोबारा जांच के आदेश हो सकते हैं।


सीबीआई भोपाल की पूरी यूनिट पर गिरेगी गाज!
मप्र में नर्सिंग कॉलेज रिश्वकांड में सीबीआई के फंसने के बाद जांच एजेंसी के भोपाल यूनिट के सभी अधिकारियों को गाज गिरने की तैयारी है। अभी तक एक डीएसपी समेत 4 निरीक्षकों को रिश्वत कांड मामले में सीबीआई गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। इनमें से कुछ को भोपाल यूनिट से बाहर भेजा जाएगा। पूरे मामले को सीबीआई निदेशक खुद देख रहे हैं। रिश्वतखोरी में एक के बाद एक सीबीआई अधिकारियों के नाम सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय भी सीबीआई को तबल कर चुका है। जल्द ही मप्र में सीबीआई का बड़ा एक्शन होगा। सीबीआई की एसीबी टीम अभी तक नर्सिंग घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई निरीक्षक राहुल राज, सुशील मजोका, ऋषिकांत असाठ और डीएसपी आशीष प्रसाद एवं एक अन्य को मप्र के अलग-अलग जिलों से गिरफ्तार कर चुकी है। सुशील मजोका और ऋषिकांत की सेवाएं मप्र पुलिस को लौटी हैं। दोनों रिश्वतखोर निरीक्षकों पर कार्रवाई अब मप्र पुलिस मुख्यालय करेगा। अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की संभावना है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि एसीबी द्वारा रिश्वतकांड में शामिल सभी सीबीआई अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद भोपाल यूनिट में नए सिरे से जमावट होगी। यहां तक कि सालों से जमे कार्यालयीन स्टाफ को भी बदलने की तैयारी है। जल्द ही सीबीआई मुख्यालय से इसके आदेश जारी होंगे। मप्र यूनिट में सीबीआई तेजतर्रार अफसर की तैनाती करने जा रही है।