कोलकाता । पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई है। इससे भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ गई है। लोकसभा चुनाव के पहले पंचायत चुनाव ने सभी राजनीतिक दलों को उनकी शक्तियों का एहसास करा दिया है। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव का बड़ा महत्व है। पंचायत के जो चुनाव परिणाम सामने आए हैं। उसमें 42 में से 35 सीटें जीतने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी, पंचायत चुनाव में बड़ी तेजी के साथ पिछड़ गई है। लगभग 15 फ़ीसदी भाजपा के वोटों में कमी आई है। वहीं सीपीएम के वोट 8 फ़ीसदी बढे हैं। पंचायत चुनाव का जो परिणाम आया है। उसका असर लोकसभा चुनाव में हर हाल में पड़ना तय माना जा रहा है। 
उत्तर बंगाल से लेकर जंग महल तक भारतीय जनता पार्टी अपने सबसे मजबूत गढ़ में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है। विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हीं क्षेत्रों में 77 सीटों पर विजय हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर विजय पाई थी। इन्हीं इलाकों में भाजपा के वोट बैंक में भारी गिरावट हुई है। पंचायत चुनाव को भारतीय जनता पार्टी ने पूरे शिद्दत के साथ पंचायत चुनाव लड़ा था। केंद्रीय सुरक्षा बलों के बीच पंचायत के चुनाव कराए गए। ममता बनर्जी का मुकाबला करने के लिए राज्यपाल भी पश्चिम बंगाल की सड़कों पर उतरे। इसके बाद भी इस तरह से पराजय मिलेगी,इसकी आशा भाजपा को नहीं थी।