जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में ज्योतिबा फुले स्मारक पर पहुंचकर समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले के निर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया इसके बाद वे पास ही स्थित एक चाय की थड़ी के पास बैठे और चाय पी. इस दौरान उन्होंने लोगों से मुलाकात कर उनके हालचाल जाने और लोगों की शिकायतें भी सुनी।
पूर्व सीएम ने ईवीएम पर उठ रहे सवालों और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उठाए जा रहे सवालों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सवाल चुनाव की जीत-हार का नहीं है, लेकिन जिस तरह महाराष्ट्र और हरियाणा में अप्रत्याशित नतीजे आए, उससे अब लोगों का ईवीएम से भरोसा उठने लगा है ऐसे में सरकार को चाहिए कि इसे प्रतिष्ठा का सवाल बनाए बिना बैलेट पेपर से चुनाव करवाने के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि यही लोकतंत्र का तकाजा है कि विपक्ष अगर कोई बात बोले तो बिना प्रतिष्ठा का सवाल बनाए इस पर स्टडी करवाएं. सर्वे करवाया जाए कि देश की जनता का मूड क्या है. क्या जनहित में है. ताकि आने वाले समय में लोकतंत्र मजबूत रहे। ईवीएम को लेकर दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट तक केस गया था सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में वीवीपैट लगाने का आदेश दिया. यह आदेश क्यों दिया गया. अगर मशीन सब ठीक होती तो वीवीपैट लगाकर 15-20 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह नौबत क्यों आई है. इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट ने माना होगा कि मशीनों को टेम्पर किया जा सकता है. उन्होंने कहा, उस समय सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी गए थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट भी लग गई। आज आम लोगों में यह धरना बन गई है कि इन मशीनों से टेम्परिंग हो रही है. मतदान होने के बाद गणना के समय 99 फीसदी बैटरी चार्ज होना भी एक बड़ा सवालिया निशान है. जब अमेरिका-इंग्लैंड जैसे दुनिया के बड़े-बड़े मुल्क बैलेट पेपर से चुनाव करवाने लगे हैं. पहले वहां भी मशीन से चुनाव करवाए गए थे. हमारे देश में क्यों नहीं बैलेट पेपर से चुनाव हो. ताकि लोकतंत्र को मजबूत और लोगों का विश्वास कायम रखा जा सके।