'पहले ही अंक में बंद हो गई मैगजीन', शरद पवार ने सुनाया पुराना किस्सा
मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को अपनी जिंदगी का एक दिलचस्प वाकिया बयान किया। उन्होंने खुलासा किया कि वह और शिवसेना के फाउंडर बाल ठाकरे कभी पत्रकारिता के मैदान में उतरे थे। दोनों ने मिलकर एक मासिक मैगजीन शुरू करने का सपना देखा था, मगर यह प्रयोग कामयाबी की मंजिल तक न पहुंच सका।
पवार ने यह बयान अखिल भारतीय मराठी पत्रकार परिषद के एक कार्यक्रम में दिया। इस इवेंट में पत्रकारों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर उनका यह प्रयोग कामयाब हो जाता तो शायद आज वह खुद भी इस मंच पर सम्मान के हकदार होते।
मैगजीन शुरू करते ही हुआ बंद
शरद पवार ने बताया कि उन्होंने और बालासाहेब ठाकरे ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक मासिक मैगजीन शुरू की थी। हर शख्स ने इसके लिए 5,000 रुपये का हिस्सा लगाया था। उनका इरादा था कि यह मैगजीन अंग्रेजी की मशहूर पत्रिका 'टाइम' की तरह होगी। पहला अंक छापा गया, जिसके बारे में उन्हें उम्मीद थी कि यह इतना शानदार होगा कि हर जगह इसकी चर्चा होगी। मगर हकीकत में वह अंक इसके बाद कभी नजर ही नहीं आया। पवार ने मजाकिया लहजे में कहा, "वह अंक इतना 'मशहूर' हुआ कि फिर कभी दिखाई ही नहीं दिया।"
उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता का पेशा लोकतंत्र में बेहद मुश्किल और जिम्मेदारी भरा है। उन्होंने सम्मान पाने वाले पत्रकारों से कहा कि वह अपनी लेखनी से लोकतंत्र को और मजबूत करें।
मधुकर भावे को मिला बालशास्त्री जंभेकर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार मधुकर भावे को 'बालशास्त्री जंभेकर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' से नवाजा गया, जबकि भरत जाधव को 'विशेष सम्मान' दिया गया। इसके अलावा माहेश म्हात्रे, अभिजीत करांडे, अमेय तिरोडकर, पांडुरंग पाटिल, सर्वोत्तम गवास्कर, दिनेश केलुस्कर, सीमा मराठे, बालासाहेब पाटिल, शर्मिला कलगुटकर और भरत निगडे जैसे पत्रकारों को भी अलग-अलग पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।