पटना/बेगूसराय: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बेगूसराय में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के बिहार चेहरे कन्हैया कुमार के 'नौकरी दो, पलायन रोको' मार्च में शामिल हुए। इसके बाद बेगूसराय की सियासत गरमा गई है। दोपहर में मार्च में शामिल हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि बेगूसराय के गौरव का नाम राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर रखे जाने का बेगूसराय के युवा समर्थन करेंगे। हालांकि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर मार्च को फ्लॉप बताया। इस मार्च में कन्हैया कुमार दिनकर का नाम क्यों ले रहे हैं और इससे उन्हें कितना फायदा होगा। बिहार ने मार्च में शामिल लोगों से चर्चा की और मार्च को देखकर अपनी राय बनाई। कन्हैया के गांव के पास जीरोमाइल में जहां मार्च का समापन हुआ, वहां अमित कुमार ने कहा कि बेगूसराय को कन्हैया से काफी उम्मीदें हैं। बेगूसराय को कन्हैया ही बचा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह दिनकर के नाम पर जीते, लेकिन उन्होंने दिनकर के लिए क्या किया? बेगूसराय में कई फैक्ट्रियां/कंपनियां हैं, लेकिन वे बेगूसराय के लोगों को रोजगार नहीं दे सकीं। इस पदयात्रा का उद्देश्य यह हो सकता है कि यहां रोजगार मुहैया कराकर बेगूसराय से लोगों का पलायन रोका जा सके। पदयात्रा में शामिल समाजसेवी हेमंत कुमार ने कहा कि यह राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की धरती है। यह बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि भी है।

जो भी यह काम करेगा, बेगूसराय उसके साथ होगा

हेमंत कुमार समेत बेगूसराय के कई लोगों ने कहा कि अगर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सिमरिया छह लाइन पुल का नाम राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर रख दें? बेगूसराय में दिनकर विश्वविद्यालय बना दें? तो बेगूसराय और पदयात्रा में शामिल लोग उनके साथ होंगे। कुल मिलाकर एक बात तो तय है कि जो भी यह काम करेगा, बेगूसराय उसके साथ चलने को तैयार है। पदयात्रा में शामिल मनीष कुमार ने कहा कि बेगूसराय के बच्चों को यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए दूर जाना पड़ता है। हम इस मुद्दे पर ध्यान देने वालों के साथ हैं। पदयात्रा ने बेगूसराय में एक माहौल जरूर बना दिया है कि आने वाले चुनाव में क्या मुद्दे होंगे।

यात्रा में जुटी ऐतिहासिक भीड़

गौरव कुमार ने कहा कि इस रैली में भीड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से कम नहीं थी। प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। पदयात्रा के दौरान कन्हैया कुमार की मुलाकात पुरुषोत्तम सिंह नामक एक चायवाले से हुई। उन्होंने उससे जानने की कोशिश की कि बेगूसराय में क्या माहौल है? और फिर दिल्ली के लिए रवाना हो गए।