भोजशाला का सर्वे करने दूसरे दिन पहुंची एएसआई की टीम, हिंदू-मुस्लिम पक्ष के प्रतिनिधि भी मौजूद
धार । मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे दूसरे दिन भी जारी है। शनिवार सुबह एएसआई की टीम सर्वे करने के लिए भोजशाला पहुंची। एएसआई के वकील हिमांशु जोशी के अलावा हिंदू और मुस्लिम पक्ष के प्रतिनिधि भी भोजशाला में हैं। भोजशाला में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। परिसर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात हैं। साथ ही 60 कैमरों की मदद से भी क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। परिसर में खुदाई करने वाले मजदूरों को जांच के बाद प्रवेश दिया गया।
कल सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी खारिज
भोजशाला सर्वे मामले में मुस्लिम पक्ष ने 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 1 अप्रैल की तारीख तय की थी। लेकिन, शुक्रवार को सर्वे शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष याचिका पर तुरंत सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से मना कर दिया। बता दें कि यह याचिका मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने दाखिल की है। जिसमें सर्वे से जुड़े हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
अब्दुल समद खान बोले- 2004 के बाद रखे गए स्तंभ
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से गोपाल शर्मा और आशीष गोयल भी भोजशाला में हैं। वहीं, कल के सर्वे के दौरान नदारत रहे मौलाना कमाल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से याचिकाकर्ता और धार मुस्लिम समाज के सदर अब्दुलसमद खान भी शनिवार को भोजशाला पहुंचे। कमाल मौलाना वेलफेयर सोसायटी के याचिकाकर्ता और मुस्लिम समाज के सदर अब्दुल समद खान ने मीडिया से चर्चा में कहा स्वास्थ्य कारणों से वह कल सर्वे में शामिल नहीं हो सके थे। उन्होंने कहा कि रात 1:00 बजे प्रशासन कहता है कि सुबह 6:00 सर्वे में आना है, ऐसे में खराब स्वास्थ्य के कारण नहीं आ पाए। उन्होंने कहा कि हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते हैं, उनका आदेश है कि सर्वे में शामिल होना है, उसी आदेश का पालन करने आए हैं। अब्दुल समद खान ने कहा कि संविधान के दायरे में रहकर माननीय न्यायालय ने जो आदेश दिए हैं उसका पालन करते हुवे सर्वे हो तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो नई चीजें और कुछ इशू पैदा किए जा रहे हैं, जैसे 2004 के बाद जो स्तंभ अंदर रखे गए उसको लेकर मुस्लिम समाज में कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए आवेदन भेजे। लेकिन, तमाम आपत्तियों के बाद भी उन स्तंभों को बाहर नहीं निकाला गया, आज उन स्तंभों को सर्वे में शामिल करना चाहते हैं। इस पर हमारी आपत्ति है।