नई दिल्ली । बेरोजगारी तथा अमीरों एवं गरीबों के बीच बढ़ती खाई को लेकर केंद्र को निशाने पर लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्यसभा में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ‘संघवाद’ के सिद्धांतों को ताक पर रखकर उन राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है, जहां उसकी पार्टी की सरकार नहीं है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग कर रही है। 
चर्चा में भाग लेकर तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ‘विकसित’ और ‘अमृत’ शब्दों का बार-बार उल्लेख हुआ है। उन्होंने कहा कि जो लोग ‘हलाहल’ पीकर जी रहे हैं, उन्हें यह अमृत शब्द बार-बार सुनकर लगता है कि कहीं वे परलोक में तब नहीं चले गये हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने हर वर्ष दो करोड़ नौकरी दिए जाने का वादा किया था और उसके अनुसार अभी तक बीस करोड़ नौकरी दी जा चुकी होती। टीएमसी नेता ने सवाल किया कि केंद्र ने अभिभाषण में इस बात को क्यों नहीं बताया कि अभी तक कितनी नौकरियां दी गई? उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह (नौकरी देने का वादा) भी एक जुमला था?’’ 
राय ने कहा कि संसद से 146 सांसदों को निलंबित कर कानून पारित किए गए। उन्होंने घटना की जर्मनी में हिटलर के शासन से तुलना करते हुए कहा कि भारत के संसदीय इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के इस ’रिपोर्ट कार्ड (राष्ट्रपति अभिभाषण)’ में बड़े बड़े दावे किए गए हैं किंतु जमीन पर कुछ नहीं है। उन्होंने 15 जनवरी को जारी ऑक्सफेम रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि भारत में एक प्रतिशत संपन्न लोगों के पास देश की 40 प्रतिशत संपदा है। 
तृणमूल सदस्य ने कहा कि भारत में महिलाओं की मेहनत पर जो आय होती है, वह पुरूषों की आय की तुलना में एक रूपये पर 63 पैसे है। उन्होंने कहा कि भारत में अरबपतियों की संख्या में बढ़ी है। राय ने यूएनडीपी की 15 जनवरी को जारी रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि देश की 10 प्रतिशत आबादी को देश की 57 प्रतिशत आय प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि देश की 10 प्रतिशत आबादी देश की 65 प्रतिशत संपदा को नियंत्रित करती है, जिससे देश में संपदा वितरण में भारी असमानता का पता लगता है। 
उन्होंने प्रश्न किया कि एक देश, एक चुनाव की बात कहां से आई, क्या यह संविधान में है या इसकी सिफारिश निर्वाचन आयोग ने की है? उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि एक पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर इस काम को युद्धस्तर पर किया जा रहा है। राय ने कहा कि यह दमनकारी सुझाव है और उनकी नेता ममता बनर्जी सहित विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने इससे असहमति जाहिर की है। 
उन्होंने कहा कि केंद्र ने पूरे देश में एकमात्र पश्चिम बंगाल राज्य को ही निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि राज्य के एक लाख 16 हजार करोड़ रूपये रोक दिए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि यह ‘आर्थिक नाकेबंदी है और वे गरीब लोगों को मारना चाहते हैं। यह राजकोषीय आतंकवाद है।’ चर्चा में भाग लेकर द्रमुक के तिरूचि शिवा ने कहा कि यह सरकार ‘संघवाद विरोधी, किसान विरोधी, गरीब विरोधी, अमीर समर्थक’ है। उन्होंने कहा कि सरकार के सत्ता में आने के बाद क्षेत्रीय दलों पर तीखे प्रहार हुए हैं। शिवा ने कहा कि यह सरकार क्षेत्रीय दलों के शासन वाले राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने दावा किया कि तमिलनाडु देश में सबसे अधिक प्रत्यक्ष कर देने वाला राज्य है, किंतु राज्य को एक रूपये कर देने पर मात्र 29 पैसा मिलता है जबकि उत्तर प्रदेश को एक रूपये कर देने पर दो रूपये 73 पैसे मिलते हैं।