जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सियासी सिद्धांतों को ताक में रखकर ये सिद्धांत सिर्फ भाषणों में ही रह गए हैं। इस बार कांग्रेस की बागडोर बागियों ने थाम रखी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले अपने ही पार्टी के बागियों का विरोध नहीं कर टिकट को लेकर समझौता कर बैठे। कांग्रेस ने अपनी तीसरी सूची में भी भाजपा से बगावत करने वाली शोभारानी को धौलपुर से टिकट दे दिया है। यह बताना इसकारण जरूरी है कि मुख्यमंत्री गहलोत अपने सियासी सिद्धांतों का हवाला देकर पूर्व सीएम भैरो सिंह शेखावत सरकार को बचाने की कहानी सुनाते रहे हैं, जिसमें यह था कि पूर्व सीएम शेखावत जब अमेरिका इलाज कराने गए तब भाजपा के स्थानीय नेताओं ने भाजपा सरकार को गिराने की पेशकश की थी। तब गहलोत पीसीसी चीफ होने के बावजूद उन्होंने राजनीति के सिद्धांतों की पालना करते हुए सरकार को नहीं गिराया था।
पिछले तीन सालों से गहलोत अपनी ही पार्टी से बगावत करने वाले सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों पर कटाक्ष करते आए हैं। चुनाव आया तब समझौता कर बैठे। खुद ही खुलकर बोल रहे हैं, मैंने पायलट सहित उनके किसी भी समर्थक का विरोध नहीं किया है। कांग्रेस की तीसरी सूची के 19 नामों में 3 नए चेहरे हैं और 11 पुराने विधायकों पर ही भरोसा जताया है। इसमें सरकार को बुरे वक्त में मदद करने वाले गंगापुर सिटी से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा को और धौलपुर से भाजपा विधायक रहीं शोभारानी कुश्वाह को टिकट दिया है। शोभारानी ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस का साथ दिया था। पार्टी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। कांग्रेस अब तक 8 निर्दलीय विधायकों को प्रत्याशी बना चुकी है।