इस्लामाबाद । पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तानी सेना ने अपने शीर्ष कमांडरों के साथ एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में देश की कंगाल अर्थव्यवस्था और अस्थिर राजनीतिक संकट के अलावा सेना के बजट में संभावित कटौती की अटकलों पर चर्चा होनी है। पाकिस्तानी सेना इस बात से नाराज है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज पाने के लिए पाकिस्तानी सरकार सैन्य बजट में कटौती की प्लानिंग कर रही है। ऐसे में आशंका है कि पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हो सकता है। कई विशेषज्ञों ने भी बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच बढ़ता विवाद अब सैन्य नेतृत्व वाले समाधान की ओर जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान में चौथी बार सेना सत्ता पर काबिज होगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान हर कुछ वर्षों में आर्थिक संकट में फंसता है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि इस बार का आर्थिक संकट काफी गंभीर है। पाकिस्तान कंगाली के बीच आतंकवादी हमलों और अब तक के सबसे खराब राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा समेत कई इलाकों में आतंकवादियों की पकड़ काफी मजबूत हो गई है। पेशावर में पुलिस लाइन में हुए आत्मघाती हमले में 100 से अधिक सुरक्षाकर्मियों और उनके परिजनों की मौत हुई थी। 
मौजूदा आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान का बाहरी ऋण और देनदारियां लगभग 130 अरब डॉलर तक पहुंच गई हैं। यह पाकिस्तान के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 95.39 प्रतिशत है। लंबे समय से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी हद तक बाहरी कर्ज पर निर्भर है। औद्योगिक उत्पादन और गिरते निर्यात के बिना कर्ज एक खतरनाक स्तर को पार कर गया है। वहीं पिछले साल आई अभूतपूर्व बाढ़ ने इसे और भी बदतर बना दिया है।
कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के आर्थिक संकट के बीच सैन्य खर्च में कटौती पर चर्चा की जाएगी। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले रक्षा बजट घटाने और सैन्य खर्च को कम करने का भी प्रस्ताव रखा है। पाकिस्तानी सेना को डर है कि अगर सरकार ने आईमएफ की शर्त मानते हुए बजट को कम कर दिया तो इससे उनकी कमाई सीधे तौर पर प्रभावित हो सकती है। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार से चिढ़ी हुई है। इस बीच शहबाज शरीफ की तरफ से भी सेना को मनाने के लिए काम किया जा रहा है।