भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी बैठक में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। इसका कारण यह है कि केंद्रीय बैंक के पास विकास को बाधित किए बिना कीमतों को नियंत्रित करने के सीमित विकल्प हैं। खाद्य महंगाई और तेल की ऊंची कीमतों के कारण पिछले महीने यानी मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई है। अर्थशास्त्री महंगाई के अधिक व्यापक होने के कारण चिंतित हैं। हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि महंगाई अस्थायी है। इसके उलट यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर ईंधन की कीमतों में तेजी आ रही है। ऐसे में अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आरबीआई जून की द्विमासिक मौद्रिक समिति की बैठक में नीतिगत दरों में 25 आधार अंक या .25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। आरबीआई अगली बैठक में रेपो दर में बढ़ोतरी करने का फैसला करता है तो इसका सीधा असर फ्लोटिंग दर पर लोन लेने वालों पर होगा। ऐसे लोगों की ईएमआई में बढ़ोतरी हो जाएगी। हालांकि, स्थायी दर पर लोन लेने वालों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनकी ईएमआई यथावत रहेगी।