गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम (एमटीपी एक्ट) को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने धनबाद सहित सभी जिलों के सिविल सर्जन को इसकी निगरानी का निर्देश दिया है। बिना पंजीकृत स्वास्थ्य संस्थानों और अप्रशिक्षित डॉक्टरों को चिन्हित करने को कहा गया है। अंपजीकृत स्वास्थ्य संस्थानों और चिकित्सक पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।

मुख्यालय के निर्देश पर सिविल सर्जन डॉ. आलोक विश्वकर्मा ने सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों और निजी स्वास्थ्य संस्थान को नोटिस दिया है। सिविल सर्जन ने कहा कि बिना पंजीकृत गर्भाधान से जुड़े कार्य नहीं किए जा सकते हैं। ऐसा करने पर कानून जुर्म का प्रावधान है।

दो से सात साल तक की सजा का प्राविधान

एक्ट के अनुसार, यदि कोई निजी अस्पताल या नर्सिंग होम इस प्रकार का कृत्य करता है, स्वास्थ्य विभाग से वह पंजीकृत नहीं है। इसे करने वाले डॉक्टर अप्रशिक्षित हैं। ऐसे व्यक्ति और संस्थान पर दो से सात साल तक सजा मिल सकती है।

योग्य पाने पर संस्थान किए जाएंगे रजिस्टर

सिविल सर्जन ने कहा कि जिन संस्थानों ने अभी तक अपना पंजीयन नहीं कराया है, ऐसे संस्थान तमाम शर्तों को पूरा करते हुए स्वास्थ्य विभाग में आवेदन कर सकते हैं। योग्य पाये जाने पर उन्हें विभाग की ओर से पंजीकृत किया जाएगा।

जिले के कई संस्थानों में कराए जा रहे गर्भपात

जिले के कई जगहों पर चोरी-छिपे गर्भपात कराए जा रहे हैं। पिछले दिनों, इसकी शिकायत हीरापुर के रविंद्र कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से की थी। नियमानुसार स्वास्थ विभाग परिस्थिति के अनुसार 20 सप्ताह तक के गर्भ को समापन करने की अनुमति देता है लेकिन यह अनुमति तब मिलती है, जब स्वास्थ्य संस्थान पंजीकृत हो, करने वाला चिकित्सक दक्ष हो।