वैश्विक बाजार में महंगाई का असर पूरे साल घरेलू खाद्य तेलों पर पड़ा है, जिसके चलते चालू रबी सीजन में तिलहनी फसलों की खेती पर जोर रहा है। प्रमुख फसल गेहूं की खेती का रकबा भी बढ़ा है। मौसम के अनुकूल होने की वजह से चालू रबी सीजन में कुल फसलों का बोआई रकबा सात करोड़ हेक्टेयर को पार कर चुका है। मोटे अनाज वाली फसलों की खेती में किसानों ने रुचि दिखाई है। बीते वर्ष 2022 के दौरान खाद्य तेल बाजार में तेजी का रुख बना रहा। महंगे आयातित खाद्य तेल की वजह से घरेलू बाजार में गरमी रही। इसे देखते हुए किसानों ने चालू रबी सीजन की प्रमुख तिलहनी फसल सरसों की खेती पर ज्यादा जोर दिया है।

लिहाजा इसकी खेती में लगभग आठ लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है।पिछले वर्ष अब तक जहां एक करोड़ हेक्टेयर में तिलहनी फसल की खेती की गई थी जो इस बार बढ़कर 1.08 करोड़ हेक्टेयर हेक्टेयर हो चुका है। इसमें सबसे अधिक हिस्सेदारी 97.17 लाख हेक्टेयर सरसों की है। जबकि मूंगफली की 5.22 लाख हेक्टेयर और सूरजमुखी की खेती का रकबा डेढ़ लाख हेक्टेयर है। चालू रबी सीजन में कुल बोआई रकबा पिछले साल के 6.78 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले 7 करोड़ हेक्टेयर हो गया है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक नवंबर के बाद से ही तापमान गिरा हुआ है। उत्तर भारत में रात का तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेट से नीचे जा रहा है जो गेहूं की खेती के लिए बेहतर है।

तिलहनी फसलों में सरसों की खेती का प्रदर्शन बहुत अच्छा है। दलहनी फसलों के साथ मोटे अनाज वाली फसलों की खेती भी शानदार है। गेहूं की खेती का रकबा 3.41 करोड़ हेक्टेयर पहुंच गया है जो पिछले साल के 3.40 करोड़ हेक्टेयर तक सिमट गया था। मंत्रालय के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अगैती गन्ने की फसल से खाली होने वाले खेतों में अभी भी बोआई जारी है, जिसमें पिछैती प्रजाति के गेहूं की खेती हो रही है। लिहाजा बोआई रकबा और बढ़ सकता है। दलहनी फसलों की खेती का रकबा 1.65 करोड़ हेक्टेयर है जो पिछले साल 1.64 करोड़ हेक्टेयर था।