गुजरात के अमरेली जिले में दो वर्ष के दौरान एक के बाद एक भूकंप के झटकों की झड़ी लग गई और यहां करीब 400 बार हल्के झटके दर्ज किये गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। भूकंप विज्ञानी इस स्थिति को 'भूकंप स्वार्म' कहते हैं। 'स्वार्म' अधिकतर छोटे स्तर के भूकंपों का क्रम होता है जो अक्सर कम समय के लिए आते हैं, लेकिन ये कई दिनों तक जारी रह सकते हैं।

गांधीनगर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च (आईएसआर) के कार्यवाहक महानिदेशक सुमेर चोपड़ा ने बताया, आमतौर पर ये झटके अल्पकालिक होते हैं, लेकिन दिनों, हफ्तों या कभी-कभी महीनों तक जारी रह सकते हैं और अक्सर एक ही स्थान पर दोहराए जाते हैं।

लोगों ने डर के कारण घर के बाहर सोना किया शुरू 

ये झटके अमरेली के मिटियाला गांव में भी महसूस किये गये जहां के निवासियों ने एहतियात के रूप में अपने घरों के बाहर सोना शुरू कर दिया ताकि वे किसी बड़े भूकंप से होने वाली अनहोनी से बच सकें। मिटियाला निवासी मोहम्मद राठौड़ ने बताया कि झटके की आशंका के चलते सरपंच समेत गांव के ज्यादातर लोग रात में अपने घरों के बाहर सोने लगे हैं।

सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित अमरेली जिले में 'भूकंप स्वार्म' के कारण को स्पष्ट करते हुए गांधीनगर स्थित भूकंपीय शोध संस्थान (आईएसआर) के महानिदेशक सुमेर चोपड़ा ने 'न्यूज एजेंसी पीटीआई' से कहा कि मौसमी भूकंपीय गतिविधियों की वजह 'टेक्टॉनिक क्रम' और जलीय भार है।

अमरेली में लगातार देखी जा रही हैं भूकंपीय गतिविधियां

इस महीने 23 फरवरी से 48 घंटों के अंदर अमरेली के सावरकुंडला और खंबा तालुका में 3.1 से 3.4 की तीव्रता के चार झटके दर्ज किए गए, जिसके कारण यहां के निवासी चिंतित हैं। तुर्किये में हाल ही में 45,000 से अधिक लोगों की जान लेने वाले विनाशकारी भूकंप के बाद अमरेली में भूकंपीय गतिविधियां देखी जा रही हैं। गुजरात के कच्छ जिले में जनवरी, 2001 में शक्तिशाली भूकंप के कारण 19,800 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग  घायल हो गये थे।